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कपिल सिब्बल ने चुनाव आयोग पर उठाये सवाल, पूछा- मतदान के आंकड़े देने में 11 दिन कैसे लगे?

 02 May 2024

राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने मतदान के आंकड़े देरी से जारी करने को लेकर चुनाव आयोग पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा चुनाव आयोग ने 11 दिन के बाद अपनी वेबसाइट पर मतदान के प्रतिशत का आंकड़ा जारी किया लेकिन कुल मतदाताओं की संख्या फिर भी नहीं बतायी। सवाल उठता है कि सारे आँकड़े मतदान के दिन प्राप्त हो जाने के बाद आयोग ने 11 दिन बाद आंकड़ा क्यों जारी किया? दरअसल 19 अप्रैल को  पहले चरण के लिए मतदान हो चुका था लेकिन चुनाव आयोग ने मतदान से जुड़े आंकड़ों को 11 दिन बाद 1 मई को जारी किया। 



 कपिल ने क्या कहा 


चुनाव आयोग से सवाल करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि आयोग ने जो अपने आंकड़ों जारी किए है उसमे उन्होंने सिर्फ ये बताया है की कितने प्रतिशन वोट पड़े, लेकिन कितने वोट डाले गए ये नहीं बताया। इसका जवाब चुनाव आयोग को देना चाहिए।

कपिल सिब्बल ने कहा कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था कि लोगों को चुनाव आयोग की नीतियों पर भरोसा करना चाहिए। जनता भरोसा करेगी,  लेकिन चुनाव आयोग को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के बताना चाहिए की आंकड़े जारी करने में 11 दिन क्यों लगे? अगर आप इस तरह से काम करेंगे तो लोगों में आपके प्रति संदेह पैदा होगा। अगर लोग आप पर संदेह करेंगे तो आपके प्रति विश्वास अपने आप ही कम होने लगेगा। कपिल ने कहा कि आज हिंदुस्तान के लोगों को ईडी, सीबीआई और अन्य संस्थाओं पर से विश्वास कम होता जा रहा है।



 फॉर्म 17c को अपलोड क्यों नहीं किया

कपिल सिब्बल ने कहा कि चुनाव आयोग के पास लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार, फार्म 17c होता है। इस फॉर्म में पोलिंग बूथ पर कुल वोट, प्रतिशत, पोलिंग स्टेशन का नाम, कंट्रोल यूनिट, बैलेट यूनिट की पहचान, उस निर्वाचन क्षेत्र में कुल मतदाता, उम्मीदवार का नाम लिखा जाता है। यह फॉर्म पोलिंग एजेंट के पास रहता है। सवाल यह है कि चुनाव आयोग इस 17c फॉर्म को अपनी वेबसाइट पर अपलोड क्यों नहीं करता? उन्होंने कहा चुनाव आयोग को 17c फॉर्म को मतदान के तुरंत बाद अपलोड करना चाहिए जिससे चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता आए।


सरकार से लोगों का भरोसा उठ रहा है

कपिल सिब्बल ने आगे कहा कि तमिलनाडु में पहले दिखाया गया कि मतदान 72 प्रतिशत मतदान हुआ,  बाद में इसे बदल कर 69 प्रतिशत कर दिया गया। यह कैसे हुआ? इस वजह लोगों का सरकार पर विश्वास काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि विवादित बयान को लेकर मोदी और राहुल को नोटिस नहीं जाता, उनके पार्टी अध्यक्ष को जाता है,। ईडी इस तरह से मुख्यमंत्री से गिरफ्तार करेगी लेकिन प्रज्वल रेवन्ना का पासपोर्ट रद्द नहीं होगा। अगर लोकतांत्रिक देश में इस तरह से काम होगा तो निश्चित रूप से लोगों का सरकार और संस्थाओं पर विश्वास काम होगा।